अजब तेरी कारीगरी करतार,
महिमा तेरी अगम अपार || टेक ||
पावक पवन नीर औ' वारिधि धरती आकाश बनाने,
चाँद-सूर्य तारांगण सोहै सोहै दिव्य ज्योति अपार,
अजब तेरी कारीगरी करतार ||१||
लख-चौरासी जीव बनाये जंगल और पहाड़,
अंड-पिंड उखमज-अस्थावर चार खागी निर्माण,
अजब तेरी कारीगरी करतार ||२||
सर्व जीव में उत्तम मानव भरा ज्ञान भंडार,
अहंकार अभिमान के कारण चेतत नहीं गंवार,
अजब तेरी कारीगरी करतार ||३||
चेतन जीव अमित रस चोखे जड़ रहे जन्म बिगाड़,
कल्लूराम दास कहै हे प्रभुजी विनती सुनो हमार,
अजब तेरी कारीगरी करतार ||४||
|| इति समाप्त ||
-: दास कल्लूराम :-
रविवार, 25 जुलाई 2010
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