बुधवार, 7 अप्रैल 2010

सॉंच बराबर तप नहीं...

जाति न पूछो साधु की,
पूछ लीजिए ग्‍यान।
मोल करो तलवार के,
पड़ा रहन दो म्‍यान।।
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जिन ढूँढा तिन पाइयॉं,
गहरे पानी पैठ।
मैं बपुरा बूडन डरा,
रहा किनारे बैठ।।
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सॉंच बराबर तप नहीं,
झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै सॉंच है,
ताके हिरदै आप।।
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बोली एक अनमोल है,
जो कोई बोलै जानि।
हिये तराजू तौलि के,
तब मुख बाहर आनि।।
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अति का भला न बोलना,
अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना,
अति की भली न धूप।।
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पाहन पुजे तो हरि मिले,
तो मैं पूजूँ पहाड़।
ताते या चाकी भली,
पीस खाए संसार।।
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निंदक नियरे राखिए,
ऑंगन कुटी छवाय।
बिन पानी, साबुन बिना,
निर्मल करे सुभाय।।

5 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी प्रस्तुति। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।

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  2. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है... हिंदी में आपका लेखन सराहनीय है, इसी तरह तबियत से लिखते रहिये.

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  3. अच्छा ब्लॉग है ।
    अछी ज्ञान की बाते है जी
    मेने भी ब्लॉग बनाया है ।
    Rajyadavbagwadiya. blogspot.
    com
    Jarur dekhna

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